चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है । ईश्वर का बहुत प्यारा सा संदेश

चढाऊँ क्या तुझे भगवन

कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ।
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ।

चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ।

अगर मैं फूल चढाती हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है ।
अगर मैं फल चढाती हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है ।
अगर मैं जल चढाती हूँ , तो वो मछली का झूठा है ।
अगर मैं दूध चढाती हूँ , तो वो बछडे का झूठा है ।

चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ।

अगर मैं सोना चढ़ाती हूँ , तो वो माटी का झूठा है ।
अगर मैं हीरा चढ़ाती हूँ , तो वो कोयले का झूठा है ।
अगर मैं मोती चढाती हूँ , तो वो सीपो का झूठा है ।
अगर मैं चंदन चढाती हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है ।

चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ।

अगर मैं तन चढाती हूँ , तो वो पती का झूठा है ।
अगर मैं मन चढाती हूँ , तो वो ममता का झूठा है ।
अगर मैं धन चढाती हूँ , तो वो पापो का झूठा है ।
अगर मैं धर्म चढाती हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है ।

चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ।

तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है - मेरा दर्पण ।
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण.
                   

Comments

  1. ये गाना मैं बचपन में सुनती थी।

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